मितेश कुमार सिन्हा प्रधान संपादक
यूपी फर्रुखाबाद। डॉ. राममनोहर लोहिया पुरुष अस्पताल में भर्ती मरीजों को इंटर्नशिप छात्रों का ही सहारा है। इन छात्रों को काम समझाने के लिए ड्यूटी स्टाफ नर्स साथ रहने की बजाय कुर्सी पर आराम फरमाते हैं। प्रशिक्षु छात्र भर्ती मरीजों को तीन-तीन बार प्रयास में विगो लगाते हैं। यही नहीं आपसी सामंजस्य के अभाव में कई-कई इंजेक्शन भी खराब कर रहे हैं।
लोहिया अस्पताल में जिले के कई मेडिकल स्कूलों के छात्र-छात्राएं इंटर्नशिप करने आते हैं। इन छात्रों मरीजों को इंजेक्शन लगाने, बीपी, पल्स आदि नापने के लिए ड्यूटी स्टाफ नर्स के साथ होना अनिवार्य है। मगर ऐसा नहीं होता। वार्डों में हर रोड प्रशिक्षु छात्रों की पांच-पांच, छह-छह की टोली पहुंचती है। यह छात्र मनमाने तरीके रजिस्टर देखकर इंजेक्शन भर लेते हैं। इसके बाद मरीजों से जानकारी करते हैं कि अभी किसी ने इंजेक्शन लगाया अथवा नहीं।
हद तो यह है कि कई बार मरीज को इंजेक्शन लगने के बावजूद दूसरा इंजेक्शन निडिल में भर लिया जाता है। बाद में इसे फेंक देते हैं। सबसे गंभीर बात यह है कि वार्डों में भर्ती मरीजों को विगो लगाने की जानकारी न होने के चलते मरीजों को तीन-तीन बार प्रयोग करते हैं। इस दौरान मरीज दर्द से कराहते हैं, तो उन्हें ऊंची आवाज में चुप रहने को कह दिया जाता है। ऐसे में यदि साथ में स्टाॅफ नर्स हो, तो मरीजों को आराम रहे और छात्रों को भी अच्छा प्रशिक्षण मिल सके। ड्यूटी स्टाफ नर्स कुर्सी पर बैठी रहती हैं। इससे मरीजों को ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस ओर अस्पताल के जिम्मेदार कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
-इंटर्नशिप छात्रों के साथ ड्यूटी स्टाफ का होना अनिवार्य है। यदि छात्र अकेले ही मरीजों को इंजेक्शन आदि लगाते हैं, तो वह इसकी जानकारी करेंगे। छात्रों के साथ स्टाफ का होना भी सुनिश्चित किया जाएगा।
-डॉ. अशोक प्रियदर्शी, सीएमएस, लोहिया पुरुष अस्पताल।
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