मितेश कुमार सिन्हा प्रधान संपादक
यूपी फर्रुखाबाद। डॉ. राममनोहर लोहिया पुरुष व महिला अस्पताल के 80 फीसदी डॉक्टर निजी अस्पतालों में मरीजों का इलाज करते हैं।इनका वार्डों में राउंड के बहाने अस्पताल की ओपीडी से गायब हो जाना आम बात है।कई डॉक्टरों ने अपने निजी अस्पताल खोल रखे हैं। हद तो यह है कि सरकारी अस्पताल के आवासों में भी फीस लेकर मरीजों को देखकर बाहर की दवाएं लिखी जा रही हैं। शासन की मंशा के विपरीत हो रहे इस कृत्य को जिम्मेदार भी जानते हैं।
लोहिया जिला अस्पताल की ओपीडी को अक्सर अपने कमरे में डॉक्टर नहीं मिलते। लिहाजा घंटों इंतजार करना मजबूरी है।वहां तैनात सरकारी स्टाफ डॉक्टर को राउंड पर जाने का बहाना बनाते रहते हैं।संविदा पर तैनात अधिकांश डॉक्टरों के अपने निजी अस्पताल खुले हैं।जिन डॉक्टरों ने अपने अस्पताल नहीं खोल पाए, वह कई-कई अस्पतालों में मरीजों को देखने जाते हैं।यही नहीं वहां की ओपीडी भी करते हैं।
जो निजी अस्पताल लोहिया जिला अस्पताल के आसपास हैं।उन निजी अस्पतालों में जैसे ही 20-25 मरीजों का पंजीकरण हो जाता है, फोन आते ही डॉक्टर लोहिया ओपीडी से नर्सिंग होम चले जाते। जिसके बाद स्टाफ बहानेबाजी करता है।
हद तो यह है कि लोहिया अस्पताल के सरकारी आवासों में रह रहे कई डॉक्टरों के यहां देर रात तक मरीजों की आवाजाही रहती है।डॉक्टर 200 रुपये फीस लेकर बाहर की दवाएं और जांच लिखते हैं।अस्पताल के अंदर चल रहे इस नियमविरुद्ध धंधे से जिम्मेदार भी अच्छी तरह परिचित हैं। मगर जानबूझ कर अनजान रहने से अस्पताल आने वाले मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
डॉक्टरों संग ओपीडी में बैठते निजी अस्पताल कर्मी
लोहिया अस्पताल की ओपीडी में कई डॉक्टरों के साथ उनके निजी अस्पतालों के कर्मचारी बैठकर काम करते हैं।यह कर्मी मरीजों को दवाएं तक लिखते हैं।इन्हीं कर्मियों के सहारे मरीजों को बरगलाकर निजी अस्पतालों में ले जाने का धंधा भी चल रहा है।
शाम को राउंड करने आता एक सहायक
अस्पताल में प्रभावशाली एक डॉक्टर उनके अंडर में भर्ती मरीजों को देखने शाम के वक्त नहीं आते।उनके साथ रहने वाला उनके निजी अस्पताल का कर्मी ही मरीजों को देखकर इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर की कुर्सी पर बैठकर बीएचटी पर दवाएं लिखता है। इस पर कोई अंकुश नहीं लगा पा रहा है।
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आशुतोष कुमार द्विवेदी ,जिलाधिकारी फर्रुखाबाद
-निजी प्रैक्टिस के संदर्भ में जांच टीम का गठन कर दिया गया है।सरकारी सेवाएं देने वाले डॉक्टर निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं।शासनदेश के आधार पर जांच करके उचिक कार्रवाई अमल में आई जाएगी।
-शासन के आदेश से सभी डॉक्टरों को अवगत करवा दिया है।जो भी जांच कमेटी बनी है, वह अपने स्तर से कार्रवाई करेगी। कोई बाहरी दवाएं लिखता है, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है।वह इसको गंभीरता से देखेंगे।
-डॉ. अशोक प्रियदर्शी, सीएमएस, लोहिया पुरुष अस्पताल।
