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सेना में जाने की राह हुई आसान तो बेटियां भरने लगीं उड़ान


ज्योति जिला संवाददाता

यूपी फर्रुखाबाद। सेना में जाने को लेकर महिलाओं के लिए राह आसान हुई तो बेटियां भी तैयारी में जुट गई हैं। देश सेवा के जज्बे के साथ सेना में जाने को उत्सुक बेटियां परीक्षा की तैयारी के साथ ही शारीरिक प्रशिक्षण पर भी ध्यान दे रही हैं। बेटियों ने सेना में जाने के लिए एनसीसी की राह चुनी है। बेटियां कहती हैं कि सेना में जाकर देश की सेवा करने का सपना अब जुनून में बदल गया है।

सेना भर्ती के लिए तैयारी कर रहीं कैडेट शिवानी कहती हैं कि सेना में जाने का जो अवसर मिला है। उससे हम खुद को साबित कर पाएंगे। बचपन से ही सपना रहा है कि पुरुषों की तरह सीमा पर खड़े होकर देश की रक्षा करें। परीक्षा की तैयारी कर रही शिवानी बताती हैं कि सपना साकार करने के लिए ही वह सुबह दो किलोमीटर की दौड़ लगाती हैं।

कैडेट आकांक्षा गौतम बताती हैं कि हमें सेना में जाकर अपनी धरती की रक्षा के लिए सीमा पर खड़े होना है। सेना में जाकर यह साबित करना चाहती हूं कि अब महिलाएं भी पुरुषों से पीछे नहीं हैं। वे सेना में अधिकारी बनना चाहती हैं। अपने सपने को पूरा करने के लिए वह कोचिंग भी कर रही हैं। शारीरिक प्रशिक्षण के लिए वह रोज सुबह पास के मैदान पर 20 मिनट दौड़ लगाकर वर्कआउट करती हैं।

कैडेट पूनम तिवारी कहती हैं कि जब भी मैं किसी लड़की को सेना की वर्दी में देखतीं हूं तो सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने का सपना और जीवंत हो उठता है। वह बताती हैं कि अपने साथ ही माता-पिता के सपने को पूरा करने के लिए वह जी-जान से जुटी हैं। सीडीएस की तैयारी करने के लिए कोचिंग कर रही हैं। उन्होंने एनसीसी ज्वाइन कर कैडेट ट्रेनिंग का रास्ता चुना है।

बचपन से ही पायलट बनने का सपना संजोए कैडेट रोशनी बताती हैं कि एयरफोर्स में पायलट बनने का मन है। पढ़ाई महंगी थी। इससे लगता था कि सपना पूरा नहीं होगा, लेकिन एनसीसी ज्वाइन करने के बाद अब सेना में जाना आसान लगता है। सेना ने भी अब महिलाओं के प्रवेश की राह आसान कर दी है। सेना के वायुयान उड़ाने की मन में तमन्ना लेकर वह 12वीं से ही अपना लक्ष्य पाने में जुट गई हैं। पढ़ाई के साथ ही वह शारीरिक रूप से भी अपने को तैयार कर रही हैं।

कैडेट वैष्णवी बताती हैं कि उन्हें वर्दी से बड़ा लगाव है। एनसीसी में आने के बाद अब उन्हें अपना सपना साकार होते दिख रहा है। ग्रेजुएशन के साथ ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही हूं। छठवीं क्लास से ही थल सेना में जाने का मन बनाने वालीं वैष्णवी बोलीं शहीद होने के बाद जो सम्मान सैनिकों को मिलता है, वह किसी को नहीं मिलता।

महिला दिवस : सेवा और समर्पण की मिसाल बन रहीं मिथलेश
कंपिल। गरीबों की मदद, शिक्षा के प्रसार और समाजसेवा के क्षेत्र में मिथलेश अग्रवाल का योगदान सराहनीय है। तीन बार कायमगंज नगर पालिका की चेयरमैन और राज्य महिला आयोग की सदस्य रह चुकीं मिथलेश अग्रवाल जरूरतमंदों के लिए निशुल्क शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और राहत कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाती हैं।

वह एक शिक्षण संस्थान की डायरेक्टर हैं और गरीब बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाती हैं। समय-समय पर निशुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित करवाकर जरूरतमंदों तक चिकित्सा सुविधाएं पहुंचाती हैं। कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने भोजन और दवाइयों की व्यवस्था की। हर साल सर्दियों में कंबल वितरण और बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री उपलब्ध कराना उनके सेवा कार्यों का हिस्सा है। इसके अलावा, वह गरीब बेटियों की शादी में आर्थिक सहयोग भी करती हैं।

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